कभी तुमने हँसाया है

कभी तुमने हँसाया है कभी तुमने रुलाया है,
मग़र हर बार तुमने ही मुझे दिल से लगाया है।
नहीं कोई ग़िला तुमसे नहीं कोई शिक़ायत है,
तुम्हीं ने रातभर जगके मुझे सुख से सुलाया है।।

आँखों से पिघल कर

आँखों से पिघल कर गिरने लगी हैं
तमाम ख़्वाहिशें

कोई समंदर से जाकर कह दे
कि आके समेट ले इस दरिया को…!!