कोई दिन गर ज़िंदगानी और है,
अपने जी में हम ने ठानी और है…
Tag: व्यंग्य
मोहब्बत है गज़ब
मोहब्बत है गज़ब उसकी शरारत भी निराली है,
बड़ी शिद्दत से वो सब कुछ निभाती है अकेले में…
इश्क था इसलिए
इश्क था इसलिए सिर्फ तुझसे किया,
फ़रेब होता तो सबसे किया होता|
हमने देखा था
हमने देखा था शौक-ऐ-नजर की खातिर
ये न सोचा था के तुम दिल मैं उतर जाओगे||
इतनी जवाँ रात
इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें,
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें…
न तो धन छुपता है
न तो धन छुपता है न मोहब्बत ,
जाहिर हो ही जाता है छुपाते – छुपाते
लम्हा सा बना दे
लम्हा सा बना दे मुझे..
रहूँ गुज़र के भी साथ उसके
नादाँ तुम भी
नादाँ तुम भी नही
नादाँ हम भी नही
मुहब्बत का असर
इधर भी है …उधर भी है
जब से तूने हल्की हल्की
जब से तूने हल्की हल्की बातें की हैं….
तबियत भारी भारी सी रहती है……
तेरे आने का
तेरे आने का इंतजार रहा
उम्र भर मौसम-ऐ-बहार रहा