ए दुश्मनो उठाओ हाथ

ना तबीबों की तलब है न दुआ मांगी

है नी मैं जां हु बस तेरे दामन की हवा मांगी है ए दुश्मनो उठाओ हाथ मांगो जिन्दगी मेरी।

क्यों की दोस्तों ने मेरे मरने की दुआ मांगी है

जरूरी नहीं

आज का ज्ञान

अगर कोई दस बजे उठे…
तो जरूरी नहीं कि वो…
‘आलसी’ हो……….

हो सकता है उसके ‘सपने’ बड़े हों…!!

हर इसांन की

हर इसांन की ख्वाहिश होती है
कि सब

उसे पहचाने
,

पर
,
ये भी चिंता सताती है,
कि कोई सही में पहचान न ले…