उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं,
कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं,
जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से,
हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं,
कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं,
जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से,
हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं..
मेरी समझदारियोँ ने मेरी मासूमियत को मार ङाला…
–
तुझे अब भी शिकायत है कि मैँ तुझे समझता नहीँ…!!!
बन्दा खुद की नज़र में सही होना चाहिए…
दुनिया तो भगवान से भी दुखी है |
बीतता वक़्त है
लेकिन,
खर्च हम हो जाते हैं ।
ए ज़िन्दगी तेरे जज़्बे को सलाम,
पता है कि मंज़िल मौत है, फिर भी दौड़ रही है…!
देश का माहौल इतना बिगड़ गया है कि आमिर खान,
शाहरूख खान को तो छोड़ीये ।।
अब तो स्वयं मोदी जी भी देश मे नही रहते.
रोज़ रोज़ रात को लिखूं ये मुमकिन नहीं….
कहकर… मेरी कलम सो गयी है रज़ाई में।
सभी का खून है शामिल यहा की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोडी है
दर दर भटक रही थी पर दर नहीं मिला,
उस माँ के चार बेटे हैं पर रहने को घर नहीं मिला।
सीख जाओ वक्त पर किसी की
कदर करना…
शायद सैल्फी इस बात का प्रमाण है के हम ज़िंदगी में
इतने अकेले रह गए है
कि हमारे आस पास हमारी फोटो खींचने वाले यार
दोस्त भी नहीं बचे”