मफलर उलझ गया

देखो तो इक पहाड़ से

कंकड़ उलझ गया
जोशो जुनून से ये दिलावर उलझ गया
हिम्मत को

उसकी आप भी अब दाद दीजिए
लाखों के सूट बूट से मफलर

उलझ गया

वक्त ही ना मिले

खुद की तरक्की में इतना
समय लगा दो
की किसी ओर की बुराई
का वक्त ही ना मिले……
“क्यों घबराते हो दुख होने से,
जीवन का प्रारंभ ही हुआ है रोने से..
नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है…
लोग “रूलाना” नहीं छोडते…
और हम ” हसना” नहीं……