मैंने आंसू को

मैंने आंसू को समझाया, भरी महफ़िल में ना आया करो,

आंसू बोला, तुमको भरी महफ़िल में तन्हा पाते है,

इसीलिए तो चुपके से चले आते है…

झील की चादर पे

झील की चादर पे फैली मौत सी ख़ामोश उदासी देखता हूँ…
पानी के इतने पास हूँ पर बिन तेरे ज़िंदगी प्यासी देखता हूँ?