मेरे लफ्ज़ों को सुनने के लिए भी तरसेगी वो
मै उससे इतना दूर निकल आया हूँ !!
Tag: व्यंग्य
बहुत शौक था
पहले तो बहुत शौक था तुम्हें हाल पूछने का,
अब क्या हुआ तुम वो नहीं रहे या वक्त वो नही रहा…
इतिहास होता है
लोग अकसर उस जगाह
पे जाते हे जहा पे इतिहास होता है ,मगर हम तो जहा भी जाते हे वहा इतिहास
बना के आते है
बदलने की अपेक्षा
यदि शांति चाहते हो कभी दूसरों को बदलने की अपेक्षा मत रखो…
स्वंय बदलो, जैसे कंकर से बचने के लिए स्वंय जूते पहनना उचित है
न कि पूरी धरती पर कारपेट बिछाने की…
माना की दूरियां
माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं लेकिन तेरे
हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है…!!!
तू बदनाम न हो
तू बदनाम न हो इसलिए जी रहा हूँ मैं,
वर्ना मरने का इरादा तो रोज़ होता है।।
हम तो नादाँ है
हम तो नादाँ है क्या समझेंगे
मोहब्बत के उसूलो को
हमे इश्क है तुमसे बैपनाह, हमे चाहने से मतलब है|
अजीब ओ गरीब
मेरी ‘जिद्द ‘ भी कुछ अजीब ओ गरीब सी है ।
कहती है ..तुम मुझसे ‘नफरत’ करो पर गैरों से’मोहब्बत’ नही
मैं भूल सा गया हूँ
मैं भूल सा गया हूँ तुम्हारे बारे में लिखना आजकल
सुकून से तुम्हें पढ़ सकूँ इतना भी वक्त नहीं देती है ये जिंदगी
हाथों की लकीरों में
मेरे हाथों की लकीरों में ये ऐब छुपा है,
मैं जिसे भी चाह लूँ वो मेरा नहीं रहता…