अगर चाहुँ तो एक पल में तुम्हें भुला दुँ…
पर चाहने से क्या होता है,
चाहता तो “मैं” तुम्हे भी बहुत था..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अगर चाहुँ तो एक पल में तुम्हें भुला दुँ…
पर चाहने से क्या होता है,
चाहता तो “मैं” तुम्हे भी बहुत था..!!
मेरी ख़ामोशी की ख्वाहिश भी तुम,मेरी मोहब्बत की रंजिश भी तुम….
रंजिश हो दिल में तो…खुल के गिला करो….
यूं शिकायतों का बोझ लेके किसी से मिला ना करो।
सिसकना,भटकना,और फिर थम जाना….
बहुत तकलीफ देता है, खुद ही संभल जाना…
किस्सा बना दिया एक झटके में उसने मुझे,
जो कल तक मुझे अपना हिस्सा बताता था !!
भूलना भुलाना दिमाग़ का काम है साहिब….
आप दिल में रहते हो….बेफिक्र हो जाओ….!!
निभाते नही है..लोग आजकल..!
वरना..इंसानियत से बड़ा रिश्ता कौन सा है..
ये खुली खुली सी जुल्फें, इन्हें लाख तुम सँवारो,….
जो मेरे हाथ से सँवरतीं, तो कुछ और बात होती!!..
जो आने वाले हैं मौसम, उन्हें शुमार में रख…
जो दिन गुज़र गए, उन को गिना नहीं करते…
एक अरसा गुजर गया तुम बिन फिर तेरी यादे क्यों नहीं गुजर जाती इस दिल से