फासला नज़रों का धोखा भी हो सकता है।
वो मिले ना मिले तुम हाथ बढ़ा कर देखो
Tag: व्यंग्य
ज़िंदगी मेरे लिए
क्यों कोई मेरा इंतज़ार करेगा,
अपनी ज़िंदगी मेरे लिए बेकार करेगा,
हम कौन सा किसी के लिए ख़ास है,
क्या सोच कर कोई हमें याद करेगा !!
दिल में जगह
मौत का आलम देख कर तो ज़मीन भी दो गज़ जगह दे देती है…
फिर यह इंसान क्या चीज़ है जो ज़िन्दा रहने पर भी दिल में जगह नहीं देता…
कोई याद बन गया
दूरियां भी क्या क्या
करा देती हैं….
कोई याद बन गया….
कोई ख्वाब…
रोज मोहब्बत के नए
मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए, किस्से
लिखना……….!!
मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी, महफ़िल सजाना सीख
लो…….!!
नींद की फितरत
नींद की फितरत भी हो चली है बेवफा यार सी,
मतलब लेकर आना,बिन मतलब के चले जाना…
रिश्ते निभाने होते है
काग का मीत
बताओ तो जानें पहेली : नहीं बनाती कभी घोंसला,
गाती मिठे गीत .
एकमात्र पक्षी है ऐसा,
नहीं काग का मीत ..
ये जिन्दगी के रास्ते
बड़े अजीब हैं ये जिन्दगी के रास्ते,
अनजाने मोड़ पर कुछ लोग
दोस्त बन जाते हैं.
मिलने की खुशी दें या न दें,
बिछड़ने का गम जरुर दे जाते हैं…!!
उसकी याद आई है
फिर उसकी याद आई है साँसों ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है