दिलों कि बात

दिलों कि बात भले ही करता हो ज़माना लेकिन,
आज भी मुहब्बत चेहरों से ही शुरू
होती हैं..

उन्हे कोई और भी

उन्हे कोई और भी चाहे..

इस बात से हम थोङा- थोङा जलते हैं…!

ग़ुरुर है हमें इस बात पर..कि

सब हमारी पसंद पर ही क्यूँ मरते हैं|