दो चार गवाह बुला लो

अगर शक है मेरी मोहब्बत पे तो दो चार गवाह बुला लो, हम आज, अभी, सबके सामने, ये जिन्दगी तेरे नाम करते है !!

पाने की तलब है

किसको, पाने की तलब है यहां; हम तो बस, तुझे खो देने से डरते है!

सब कुछ सह कर भी

दिल तो सब कुछ सह कर भी चुप रहा…… कमबख्त, आँखो ने बयाँ कर दिया रात किस दर्द से गुजरी है..

सभी कर्मो का फल

सुना है सभी कर्मो का फल इस जनम में ही मिलता है…. तो फिर तेरी महोब्बत के लिए अगले जनम का इंतजार क्यों |

ग़लत कहता हैं हर कोई

ग़लत कहता हैं हर कोई कि संगत का असर होता हैं वो बरसों मेरे साथ रही मगर फिर भी बेवफा निकली |

बढ रहे है चाहने वाले

बढ रहे है चाहने वाले मेरे अल्फाज़ों के…., लगता है उस तक बात जरुर पहुँचेगी।

दर्द अब इतना की

दर्द अब इतना की संभलता नही है तेरा दिल मेरे दिल से मिलता नही है अब और किस तरह पुकारूँ मैं तुम्हे तेरा दिल तो मेरे दिल की सुनता भी नही है |

तमाम रात सहर की

तमाम रात सहर की दुआएँ माँगी थीं खुली जो आँख तो सूरज हमारे सर पर था|

ग़म-ए-दुनिया

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें |

भटकता फिर रहा है

भटकता फिर रहा है दिल किनारों की तमन्ना में तुम्हारे इश्क़ में डूबे तो बेड़ा पार हो जाये

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