तेरा हुस्न एक जवाब,मेरा इश्क एक सवाल ही सही
तेरे मिलने कि ख़ुशी नही,तुझसे दुरी का मलाल ही सही
तू न जान हाल इस दिल का,कोई बात नही
तू नही जिंदगी मे तो तेरा ख़याल ही सही|
Tag: व्यंग्य
मेरी खुशियों की
मेरी खुशियों की दुआ करते हो।
खुद मेरे क्यों नहीं हो जाते हो।
ये तो मोहब्बत थी
ये तो मोहब्बत थी तुमसे जो तेरी बेवफ़ाई बर्दास्त कर गया।
ऐ बेवफा वरना तेरे सीने से वो दिल निकाल लेता जो मोहब्बत के काबिल ना था।
वक़्त बीतने के बाद
वक़्त बीतने के बाद अक़्सर ये अहसास होता है,
जो अधूरी छूट गयीं, वो ख्वाहिशें ज्यादा बेहतर थीं।
पसीने की स्याही से
पसीने की स्याही से जो लिखते है अपने इरादों को,
उनके मुकद्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते !!
काश तुम कभी ज़ोर से
काश तुम कभी ज़ोर से गले लगाकर।
कहो डरते क्यों हो पागल।
मैं तुम्हारी तो हु।
मुझे मेरे अंदाज मे
मुझे मेरे अंदाज मे ही चाहत बयान करने दे….
बड़ी तकलीफ़ से गुजरोगे जब …..
तुझे तेरे अंदाज़ में चाहेंगे……
हर पल खुश रहूं
हर पल खुश रहूं ऐसा हो नहीं सकता,
यादें भी आखिर कोई चीज़ हुआ करती हैं|
कैसे करें हम खुद को
कैसे करें हम खुद को तेरे प्यार के क़ाबिल!
जब हम आदतें बदलते हैं,तो तुम शर्तें बदल देते हो|
शर्म नहीं आती उदासी को
शर्म नहीं आती उदासी को जरा भी,
मुद्दतों से मेरे घर की महेमान बनी हुई है ….!!!!