दो ही गवाह थे मेरी मोहब्बत के एक था वक्त ओर दुसरा सनम
एक गुजर गया और दुसरा मुकर गया|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दो ही गवाह थे मेरी मोहब्बत के एक था वक्त ओर दुसरा सनम
एक गुजर गया और दुसरा मुकर गया|
चंद खाली बोतलें चंद हसीनो के खतूत
बाद मरने के, मेरे घर से ये सामां निकला।
वो चूड़ी वाले को अपनी पूरी कलाई थमा देते है
जिनकी हम आज तक उंगलिया छूने को तरसते हैं|
अंजाम की ख़बर तो साहब . . कर्ण को भी थी. . .पर बात दोस्ती निभाने की थी..
यादें बनकर जो रहते हो साथ मेरे,
तेरे इतने अहसान का सौ बार शुक्रिया…..
इस तरह अंदाज़ा लगा …. उसकी कड़वाहटों का,
आख़री ख़त तेरा दीमक से भी खाया न गया…!!!
रात थी और स्वप्न था तुम्हारा अभिसार था !
कंपकपाते अधरद्व्य पर कामना का ज्वार था !
स्पन्दित सीने ने पाया चिरयौवन उपहार था ,
कसमसाते बाजुओं में आलिंगन शतबार था !!
आखेटक था कौन और किसे लक्ष्य संधान था !
अश्व दौड़ता रात्रि का इन सबसे अनजान था !
झील में तैरती दो कश्तियों से हम मिले ,
केलिनिश का काल प्रिये मायावी संसार था !!
चंचल चूड़ी निर्लज्जा कौतक सब गाती रही !
सहमी हुई श्वास भी सरगम सुनाती रही !
मलयगिरी से आरोहित राहों के अवसान थे ,
प्रणय सिंधु की भाँवर में छाया हाहाकार था !!
नेह की अभिलाष भरी लालसा फिर तुम बनी !
मद भरा दो चक्षुओं में मदालसा फिर तुम बनी !
वेणी खुलकर यूँ बिखरी और रात गमक उठी ,
शशि धवल मुख देख खुद चाँद शर्मसार था !!
सज़ा ये दी है कि आँखों से छीन लीं नींदें ,
क़ुसूर ये था कि जीने के ख़्वाब देखे थे|
मालूम हमें भी है बहुत से तेरे किस्से,
पर बात हमसे उछाली नहीं जाती..
मुझसे हर शख्स खुश रहेगा, आज ये भरम टूटा है..ना जाने क्यूँ आज-कल मुझसे, मेरा सनम रूठा है….