काश तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादों की तरह,
ना वक़्त देखो, ना बहाना, बस चले आओ…
Tag: व्यंग्य
मरकर भी तुझको
मरकर भी तुझको देखते रहने के शौक में,
आखें भी हम किसी को अमानत में दे जायेंगे….
फासले कहाँ मोहब्बत
फासले कहाँ मोहब्बत को कम कर पाते हैं,
बिना मुलाकात के भी कई रिश्ते अक्सर साथ निभाते हैं
ले चल कही
ले चल कही दूर मुझे तेरे सिवा जहां कोई ना हो,
बाँहों में सुला लेना मुझको फिर कोई सवेरा ना हो…!!!
मिटा दिये हैं
मिटा दिये हैं सभी फासले…….तुम्हारी मोहब्बत ने
मेरा दिमाग धड़कता है…… मेरे दिल की तरह
हर अल्फाज दिल का
हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो,
न जाने कौन सी शायरी आखरी हो जाए।
तेरा ख़याल मुझे
तेरा ख़याल मुझे कुछ …… इस तरह पुकारता है
जैसे मंदिरों में ……. कोई आरती उतारता है
दिल से ज्यादा
दिल से ज्यादा महफूज़ जगह कोई नही मगर,
सबसे ज्यादा लोग यहीं से ही लापता होते हैं।
घर की इस बार
घर की इस बार मुकम्मल मै तलाशी लूँगा
ग़म छुपा कर मेरे माँ बाप कहाँ रखते है..
उम्मीदों की तरह
मिट चले मेरी उम्मीदों की तरह हर्फ़ मगर,
आज तक तेरे खतों से तेरी खुश्बु ना गई।