खुद को गलत भी….
सही आदमी ही मान सकता है….!!
Tag: व्यंग्य
पाने की बेकरारी
पाने की बेकरारी
और
खोने की दहशत,
इन्हीं बेचैनियों का नाम है मोहब्बत
दूर रह कर भी
उसका नजर से दूर रह कर भी, मेरी हर सोंच में हमेशा रहना…..
किसी के पास रहने का तरीका हो,
तो ऐसा ही हो….
बड़ा अहसान है
बड़ा अहसान है तेरी सभी नफरतों का मुझपे,
तुझसे मिली एक ठोकर ने मुझे चलना सिखा दिया…
जब तक है
जब तक है ये सांस निभा लो साथ
अफसोस ही रहता है, बिछड़ जाने के बाद…!!!
हम भी कभी
हम भी कभी अपनो की उदासी दूर किया करते थे,
पर जब आज हम तन्हा है तो पूछने वाला कोई नही !!!
किस कदर जोर से
किस कदर जोर से हंसा था दिल !
साफ़ लगता था रोने वाला है !!
जो भी आता है
जो भी आता है एक नई चोट देकर चला जाता है,
माना मैं मजबूत हूँ लेकिन…… पत्थर तो नहीं.!
होशो हवास में
होशो हवास में बहको तो कोई बात बने,
युं नशे में लुढ़कना तो यार पुराना हुआ ।
सारे जग की प्यास
सारे जग की प्यास बुझाना, इतना आसाँ काम है क्या?
पानी को भी भाप में ढलकर बादल बनना पड़ता है|