फिर से टूटेगा दिल यह बेचारा ,
फिर से वही बेवफा और मैं हूँ …
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
फिर से टूटेगा दिल यह बेचारा ,
फिर से वही बेवफा और मैं हूँ …
किसी सूरत से मेरा नाम तेरे साथ जुड़ जाये
इजाज़त हो तो रख लूँ मैं तख़ल्लुस ‘जानेजां ‘अपना
मुड़ के देखा तो है इस बार भी जाते जाते
प्यार वो और जियादा तो जताने से रहा
दाद मिल जाये ग़ज़ल पर तो ग़नीमत समझो
आशना अब कोई सीने तो लगाने से रहा|
आपके कदमों से एक ठोकर क्या लगी,
‘ख़ाक’ भी उड़ के आसमां पे गयी…
हसरतों को फिर से आ जावे न होश,
दिल हमारी मानिये रहिये ख़मोश…
रूप देकर मुझे उसमें किसी शहज़ादे का
अपने बच्चों को कहानी वो सुनाती होगी |
फ़लक़ पर जिस दिन चाँद न हो, आसमाँ पराया लगता है
एक दिन जो घर में ‘माँ’ न हो, तो घर पराया लगता है।
तरीका न आये पसंद हो जाए न खता हमसे अब
तुम ही बता दो वैसे ही करूँगा इश्क तुमसे अब|
मसर्रतों के खजाने तो कम निकलते है…
किसी भी सीने को खोलो तो ग़म निकलते है…
जिसको तलब हो हमारी , वो लगाये बोली ,
सौदा बुरा नहीं … बस “ हालात ” बुरे है ..!!