अपनी मौत भी क्या मौत होगी,
यू ही मर जायेंगे एक दिन तुम पर मरते-मरते !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अपनी मौत भी क्या मौत होगी,
यू ही मर जायेंगे एक दिन तुम पर मरते-मरते !
Tumhe Koi Shikayat To Na Hogi
Muje Tumse Mohabbat Ho Gayi Hai
अकसर तेरी राहो से गुजरने वालो को दीवाना बनते देख चुके हैं…
पर बतादे तुम्हें की हम भी एसा हसीन गुन्हा लाखो बार कर चुके हैं…
मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना,
जरा से भी चुके तो महोब्बत हो जायेगी|
इक ख़्वाब हो के रह गई है रस्म-ऐ-मोहब्बत…
इक वहम सा है अब.. मेरे साथ तुम भी थे….
हम तो वाकिफ थे उनके अंदाज से
पर वो बेवफा कब हुए पता ही नही चला
छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता था..
पर बड़ी बात पे चुप रहना तुम्ही से सीखा..
कफन उठाओ ना मेरा जमाना देख ना ले..
मै सो गया हूँ तेरी निशानिया लेकर….!!
कल अचानक देखा तरसी निग़ाहों को
किताबे आज भी छाती से लग के सोना चाहती है
तुम्हे क्या पता, किस दर्द मे हूँ मैं..
जो लिया नही, उस कर्ज मे हूँ मैं..