हमने भी मुआवजे की अर्जी डाली है साहब, उनकी यादों की बारिश ने काफ़ी नुकसान पहुँचाया है !!
Tag: व्यंग्य शायरी
हमीं अकेले नहीं जागते हैं
हमीं अकेले नहीं जागते हैं रातों में… उसे भी नींद बड़ी मुश्किलों से आती है..
जरुरी नहीं हर रिश्ता
जरुरी नहीं हर रिश्ता बेवफाई से ही खत्म हो,,,, कुछ रिश्ते किसी की ख़ुशी के लिए भी खत्म करने पड़ते है !!
बेनाम सा रिश्ता
बेनाम सा रिश्ता यूँ पनपा है फूल से भंवरा ज्यूँ लिपटा है पलके आंखे, दिया और बाती ऐसा ये अपना रिश्ता है.!!!!
क्या लूटेगा जमाना
क्या लूटेगा जमाना खुशियों को मेरी.. मैं तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटा कर जीता हूँ….
शिकवा तो बहुत है
शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत नहीं कर सकते मेरे होठों को इज़ाज़त नहीं तेरे खिलाफ बोलने की
जब भी देखता हूँ
जब भी देखता हूँ तेरी मोहब्बत की पाकीज़गी दिल करता है तेरी रूह को काला टीका लगा दूँ…
दिल की बातें
दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे आज कल इज़हार के धंधे में है घाटा बहुत
मत दो मुझे खैरात
मत दो मुझे खैरात उजालों की…… अब खुद को सूरज बना चुका हूं मैं..
तू मोहब्बत से
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल……हार जाने का हौसला है मुझे !