मुझे तालीम दी है मेरी फितरत ने ये बचपन से …
कोई रोये तो आंसू पौंछ देना अपने दामन से ….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझे तालीम दी है मेरी फितरत ने ये बचपन से …
कोई रोये तो आंसू पौंछ देना अपने दामन से ….
आसमां पे ठिकाने किसी के नहीं होते,
जो ज़मीं के नहीं होते, वो कहीं के नहीं होते..!!
ये बुलंदियाँ किस काम की दोस्तों…
की इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें….
आखिर कब तक इन्तजार करूं मैं तुम्हारा ,
मैं आशिक हूँ ,धरने पर बैठा कोई सुनार नही |
तेरा बिछड़ना है हौसला मेरे लिए..
ताउम्र याद दिलाएगा कुछ कमी थी मुझमे
कई बार मैंने
देखा है खुद को
तुम में
जिसे तुमने पुकारा नहीं
जिद्द में
वो मैं था
है ऐतबार जिसे
अब भी
मुझ में
वो इंतज़ार तुम हो..
वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर …
जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर…!
“समस्या” के बारे में सोचने से,
बहाने मिलते हैं,
“समाधान” के बारे में सोचने से, रास्ते मिलते हैं…
ज़िन्दगी को “आसान” नहीं,
बस खुद को “मजबूत” बनाना
पड़ता है।
उत्तम समय कभी नहीं आता,
समय को उत्तम बनाना पड़ता है…….
मरने का मजा तो तब है ..
दोस्त
जब जनाजे में कातिल भी आकर रोये..!!
दो लब्ज़ क्या लिखे तेरी याद मे..
लोग कहने लगे तु आशिक बहुत पुराना है|
तू पंख ले ले और मुझे सिर्फ हौंसला दे दे,
फिर आँधियों को मेरा नाम और पता दे दे !!