इतना क्यों चाहा तुमने मुझसे
मैं खुद से कितना दूर हो गया
जिन्दा रखने आशाए तुम्हारी
सब सहने को मजबूर हो गया
इस प्यार ने जीवन में मुझको
हरदम इतना तड़पाया है
जब चाह हुई है हँसने की
आँखों से पानी आया है.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इतना क्यों चाहा तुमने मुझसे
मैं खुद से कितना दूर हो गया
जिन्दा रखने आशाए तुम्हारी
सब सहने को मजबूर हो गया
इस प्यार ने जीवन में मुझको
हरदम इतना तड़पाया है
जब चाह हुई है हँसने की
आँखों से पानी आया है.
मेरी उम्र तेरे ख्याल में गुज़र जाए..
चाहे मेरा ख्याल तुझे उम्रभर ना आए..!!
कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की, हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
लुटा चुका हूँ बहुत कुछ अपनी जिंदगी में यारो
मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो, जो लिखकर बयाँ करता हूँ|
हज़ार महफ़िलें है….
लाख मेले है….
जब तक तू ना मिले…..
हम अकेले ही है…..
लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब
हलके से इशारे पे ही ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं…
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हे…
बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और
ढूँढता हैं खामोशी से तुझे..!!
वक्त आया कि अब खुद को बदनाम कहें।
हो रही हो खूब सुबह मगर हम शाम कहें
तुमने देखी है वो पेशानी वो रूखसार, वो होंठ,
जिन्दगी जिनके तसव्वर में लुंटा दी मैंने।
बहुत आसान है पहचान इसकी….,
अगर दुखता नहीं है तो “दिल” नहीं है….।