इतना क्यों चाहा

इतना क्यों चाहा तुमने मुझसे
मैं खुद से कितना दूर हो गया

जिन्दा रखने आशाए तुम्हारी
सब सहने को मजबूर हो गया

इस प्यार ने जीवन में मुझको
हरदम इतना तड़पाया है

जब चाह हुई है हँसने की
आँखों से पानी आया है.

लुटा चुका हूँ

लुटा चुका हूँ बहुत कुछ अपनी जिंदगी में यारो
मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो, जो लिखकर बयाँ करता हूँ|

किन लफ्जों में

किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हे…

बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और
ढूँढता हैं खामोशी से तुझे..!!