लौट आओ ना…
और आकर सिर्फ
इतना कह दो…
मैं भटक गई थी,
थी भी तुम्हारी और
हूँ भी तुम्हारी ही…।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लौट आओ ना…
और आकर सिर्फ
इतना कह दो…
मैं भटक गई थी,
थी भी तुम्हारी और
हूँ भी तुम्हारी ही…।
मत पूछ इस जिंदगी में,
इन आँखों ने क्या मंजर देखा
मैंने हर इंसान को यहाँ,
बस खुद से हीं बेखबर देखा।
मेरे मुकद्दर में तो सिर्फ यादें है तेरी….
.
.
जिसके नसीब में तू है…उसे ज़िन्दगी मुबारक…!!!
कागज़ों पे लिख कर ज़ाया कर दूं, मै वो शख़्स नहीं,
मैं वो शायरा हुँ जिसे दिलों पे लिखने का हुनर आता है…।।
उसने तारीफ़ ही कुछ इस अन्दाज़ से की ,,,
अपनी ही तस्वीर को सौ बार देखा मैने..।।
जब तुम करीब होते हो तो मदहोश हुए जाते है
जब दूर होते हो तो ख्यालों में ग़ुम हुए जाते है…..
सँभल के रहिएगा ग़ुस्से में चल रही है हवा,
मिज़ाज गर्म है मौसम बदल रही है हवा…
तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,…
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं|
किसी से जुदा होना अगर इतना आसान
होता ,
तो….
जिस्म से रूह को लेंने कभी फरिस्ते
ना आते !!
तूने फेसले ही फासले बढाने वाले किये थे
,
वरना कोई नहीं था, तुजसे ज्यादा
करीब मेरे..।