दोनों ही
बातों से तेरी
एतराज है मुझको..
क्यों तू जिंदगी में आई
और क्यों
चली गई..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दोनों ही
बातों से तेरी
एतराज है मुझको..
क्यों तू जिंदगी में आई
और क्यों
चली गई..
खुद
अपने
वजूद का
ख्याल खो
बैठोगें, अपने
बारे में जीयादा
ना सोचना
दोस्तों……..!
आज ये
मौसम फिर से करवा रहा है मुझसे शायरी…..!!
वरना इस दिल के
जज़्बातों को दबे तो ज़माना हो गया…..!!
आज़ादी
एक ख़तरा हैं,
हर कोई मोल नहीं लेता..
“मैं”
पसन्द तो बहुत हूँ
सबको,
पर.
जब उनको मेरी जरूरत होती है तब…
कलम
में जितना दम है जुदाई की बदौलत है !
वरना लोग मिलने के बाद
लिखना छोड़ देते है ..!?
अपनापन
छलके जिनकी बातों में,
सिर्फ कुछ ही बंदे ऐसे होते हैं लाखों में!
मेरी
आँखों का तेरी यादों से कोई ताल्लुक़ तो है,
तसवुर में जब भी आते
हो…चेहरा खिल सा जाता है…
बैठे थे अपनी मस्ती में के अचानक तड़प उठे,
आ कर तुम्हारी याद ने अच्छा नहीं किया….
करें किसका एतबार यहाँ, सब अदाकार ही तो हैं…
और गिल़ा भी किससे करें, सब अपने यार ही तो है ।