तैरना तो आता था

तैरना तो आता था हमे मोहब्बत के समंदर मे लेकिन…
जब उसने हाथ ही नही पकड़ा तो डूब जाना अच्छा लगा…

यादों का किस्सा

मै यादों का किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

मै गुजरे पल को सोचूँ
तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

वो पल भर की नाराजगियाँ,
और मान भी जाना पलभर में,
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं……….

फिर से सूरज

फिर से सूरज लहूलुहान समंदर में गिर पड़ा,
दिन का गुरूर टूट गया और फिर से शाम हो गई .

जिसे अपना चाँद

मैं जिसे अपना चाँद समझता था…
उसने मोहल्ले के आधे से ज्यादा लड़के अंतरिक्ष यात्री बना रखे थे।

जब मैं डूबा

जब मैं डूबा तो समंदर को भी हैरत हुई ……
कितना तन्हा शख़्स है, किसी को पुकारता भी नही…..