अंगूठी तो मुझे लौटा रही हो पर ऊंगली के निशान का क्या करोगी….
Tag: वक्त शायरी
खामोश हूँ सिर्फ़
खामोश हूँ सिर्फ़ तुम्हारी खुशी के लिये ये न सोंचना कि मेरा दिल दुखता नहीं…
मेरे ज़ख्मो का
उसने मेरे ज़ख्मो का यूँ किया इलाज, मरहम भी लगाया तो काँटों की नोक से….
यू रोने न देती…
दोस्तों आज तो खुद ही रोया और रो के चुप भी हो गया, सोचा अगर वो अपना मानती तो यू रोने न देती…
किसी के पास
जाने क्यों अधूरी सी रह गई है जिंदगी लगता है जैसे खुद को किसी के पास भूल आए..
अच्छे तो जख्म हैं
तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे उतनी ही तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ..
मेरे ही खून में
डूबी है मेरी उंगलियाँ मेरे ही खून में, ये काँच के टुकड़ों पर भरोसे की सज़ा है…
यादें बहुत मशरूफ
नहीं फुरसत यकीन मानो कुछ और करने की तेरी बातें , तेरी यादें बहुत मशरूफ रखती हैं|
तू जरुरी सा
तू जरुरी सा है मुझको जिन्दा रहने के लिए|
कौन कहता है कि दूरियां
कौन कहता है कि दूरियां किलोमीटरों में नापी जाती हैं। खुद से मिलने में भी उम्र गुज़र जाती है।