उन्हे कोई और भी

उन्हे कोई और भी चाहे..

इस बात से हम थोङा- थोङा जलते हैं…!

ग़ुरुर है हमें इस बात पर..कि

सब हमारी पसंद पर ही क्यूँ मरते हैं|

तड़प के देखो

तड़प के देखो किसी की चाहत में;
तो पता चले कि इंतज़ार क्या होता है;
यूँ ही मिल जाये अगर कोई बिना तड़पे;
तो कैसे पता चले के प्यार क्या होता है|