न रुकी वक्त की गर्दिश और न जमाना बदला,
पेड़ सुखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला !!
Tag: वक्त शायरी
सियाही फैल गयी
सियाही फैल गयी पहले, फिर लफ्ज़ गले,
और एक एक कर के डूब गए..
ये भी क्या सवाल हुआ
ये भी क्या सवाल हुआ कि इश्क़ कितना चाहिए,
.दिल तो बच्चे की तरह है मुझे थोड़ा नहीं सब चाहिए !!
आते हैं दिन हर किसी के
आते हैं दिन हर किसी के बेहतर,
जिंदगी के समंदर में हमेशा तूफान नही रहते।
तेरे कूचे में
तेरे कूचे में उम्र भर ना गए…सारी दुनिया की ख़ाक छानी है…
तेरी रुसवाइयों से
तेरी रुसवाइयों से डरता हूँ…
जब भी तेरे शहर से गुज़रता हूँ…
कुछ तेरी अज़मतो का
कुछ तेरी अज़मतो का डर भी था…कुछ अजीब थे ख़यालात मेरे…
जाने किन वादियो में
जाने किन वादियो में ठहरा है…गिरत-ऐ-हुस्न कारवाँ तेरा…
आज इतना महसूस किया
आज इतना महसूस किया खुद को
जैसे लोग दफन कर के चले गए हो मुझे|
बेअसर कहाँ होती है
बेअसर कहाँ होती है दुआ कोई भी…
या उसकी कुबूल होती है या मेरी कुबूल होती है!!