by pyarishayri - July 13, 2017कितना मुश्क़िल सवालकितना मुश्क़िल सवाल पूछ लिया…तुमने तो हाल चाल ही पूछ लिया…
by pyarishayri - July 13, 2017गए वो दिन कि शिकवे थेगए वो दिन कि शिकवे थे जहाँ के… अब अपना ही गिला है और मैं हूँ..
by pyarishayri - July 12, 2017खुदा जाने यह किसकाखुदा जाने यह किसकाजलवा है दुनियां ए बस्ती मेंहजारों चल बसे लेकिन,वही रौनक है महफिल की।
by pyarishayri - July 12, 2017हाँ ठीक हैहाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ आख़िर मेरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई
by pyarishayri - July 12, 2017जब कोई अपनाजब कोई अपना मर जाता है ना साहिब…..!फिर कब्रिस्तानों से डर नही लगता…
by pyarishayri - July 12, 2017किसे याद किया करता हैंधुप में कौन किसे याद किया करता हैंपर तेरे शहर में बरसात तो होती होगी
by pyarishayri - July 12, 2017हमारा तजरबा हमकोहमारा तजरबा हमको सबक़ ये भी सिखाता है कि जो मक्खन लगाता है वो ही चूना लगाता है|
by pyarishayri - July 12, 2017अपनी नाराज़गी किअपनी नाराज़गी कि कोई वजह तो बताई होती,हम ज़माने को छोड़ देते एक तुझे मनाने के लिए…
by pyarishayri - July 12, 2017फिर कभी नहीं हो सकतीफिर कभी नहीं हो सकती मुहब्बत सुना तुमने वो शख्स भी एक था और मेरा दिल भी एक ।