वक़्त के अपने भी कैसे अजीब क़िस्से हैं !!मेरा कटता नहीं और उनके पास होता नहीं..
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मुस्काना तो पड़ता है
महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है
उनकी आँखों से होकर दिल तक जाना
रस्ते में ये मैखाना तो पडता हैं
तुमको पाने की चाहत में ख़तम हुए
इश्क में इतना जुरमाना तो पड़ता हैं|
मौत का माथे पे है
पसीना मौत का माथे पे है आइना लाओ,
हम अपनी ज़िन्दगी की आखिरी तस्वीर देखेंगे |
हजारों महेफिलें है
हजारों महेफिलें है और लाखो मेले है,पर जहां तुम नहीं वहां हम अकेले है !!
तुम मेरे साथ चलो
तुम मेरे साथ चलो सब को दिखाने के लिये,
फिर किसी मोड़ पर चुपके से जुदा हो जाना !!
आशियाने बनें भी
आशियाने बनें भी तो कहाँ
जनाब…
जमीनें महँगी हो चली हैं
और
दिल में लोग जगह नहीं देते..!!
रहते हैं साथ-साथ
रहते हैं साथ-साथ मैं और मेरी तन्हाई
करते हैं राज की बात मैं और मेरी तन्हाई
दिन तो गुजर ही जाता है लोगो की भीड़ में
करते हैं बसर रात में मैं और मेरी तन्हाई !!
उससे कहना कि
उससे कहना कि तेरी ‘याद’ बहुत आती है …
ये भी कहना कि कोई और नहीँ है मेरा…
फिर ग़लतफैमियो में
फिर ग़लतफैमियो में डाल दिया..
जाते हुए मुस्कुराना ज़रूरी था ?
अपनी मुस्कुराहट को
अपनी मुस्कुराहट को जरा काबू में रखिए,
दिल ए नादान कहीं इस पे शहीद ना हो जाए|