तेरी आँख का मंजर

गुम है जो तेरी आँख का मंजर तलाश कर।
बाहर जो खो गया है उसे अपने अंदर तलाश कर।
जो तुझ को तेरी जात से बाहर निकाल दे।
दश्त-ऐ-जूनून में ऐसा कलन्दर तलाश कर ।।