काश तुम कभी ज़ोर से गले लगा कर कहो,
डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूँ…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
काश तुम कभी ज़ोर से गले लगा कर कहो,
डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूँ…
अगर परछाईंया कद से और बातें औकात से ज्यादा होने…तो समझ
लीजिये कि सूरज डूबने वाला है….
हक़ीक़त ना सही तुम
ख़्वाब की तरह मिला करो,
भटके हुए मुसाफिर को
चांदनी रात की तरह मिला करो |
हमें रोता देखकर वो ये कह के चल दिए कि,
रोता तो हर कोई है क्या हम सब के हो जाएँ|
बहुत आदतें थीं जो छोड़ दी मैंने…
ख़्याल तुम्हें अपनाने का जो आया!!
लोग कहते है कि आदमी को अमीर होना चाहिए
और हम कहते है कि आदमी का जमीर होना चाहिए……..?
तारीफ़ के मोहताज नही होते हैं सच्चे लोग, ऐ दोस्त…!!
असली फूलो पर कभी इत्र छिड़का नहीं जाता…!!
तुमको दे दी है इशारों में इजाज़त मैने..
माँगने से ना मिलूँ….तो चुरा लो मुझको..
इलाज न ढूंढ इश्क का वो होगा ही नही,
इलाज मर्ज का होता है इबादत का नही ।
महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है
उनकी आँखों से होकर दिल तक जाना
रस्ते में ये मैखाना तो पडता हैं
तुमको पाने की चाहत में ख़तम हुए
इश्क में इतना जुरमाना तो पड़ता हैं