फिर से टूटेगा दिल यह बेचारा ,
फिर से वही बेवफा और मैं हूँ …
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
फिर से टूटेगा दिल यह बेचारा ,
फिर से वही बेवफा और मैं हूँ …
किसी सूरत से मेरा नाम तेरे साथ जुड़ जाये
इजाज़त हो तो रख लूँ मैं तख़ल्लुस ‘जानेजां ‘अपना
मुड़ के देखा तो है इस बार भी जाते जाते
प्यार वो और जियादा तो जताने से रहा
दाद मिल जाये ग़ज़ल पर तो ग़नीमत समझो
आशना अब कोई सीने तो लगाने से रहा|
हसरतों को फिर से आ जावे न होश,
दिल हमारी मानिये रहिये ख़मोश…
ना शौक बड़ा दिखने का
ना तमन्ना भगवान होने की
बस आरजू जन्म सफल हो
कोशिश इंसान होने की
यादें जिंदा है अब भी उसकी……
रिश्ता जो चल बसा कब का……!!
जिस दिन सादगी श्रृंगार हो
जाएगी,
उस दिन आईनों की हार हो
जाएगी..
कुछ शिकायतें बनी रहें तो बेहतर है,
चाशनी में डूबे रिश्ते वफ़ादार नहीं होते…!!
बस एक ही बात थी जो मुक्कम्मल सुनी थी मैंने ,
वो एक बात जिसे रुक गया वो कहते कहते !
कभी नीम सी जिंदगी ।
कभी नमक सी जिंदगी ।
मैं ढूंढता रहा उम्र भर
एक शहद सी जिंदगी।
ना शौक बङा दिखने का…
ना तमन्ना भगवान होने की…
बस आरजू जन्म सफल हो….
कोशिश “इंसानं” होने की.