किसी सूरत से

किसी सूरत से मेरा नाम तेरे साथ जुड़ जाये

इजाज़त हो तो रख लूँ मैं तख़ल्लुस ‘जानेजां ‘अपना

मुड़ के देखा तो

मुड़ के देखा तो है इस बार भी जाते जाते
प्यार वो और जियादा तो जताने से रहा

दाद मिल जाये ग़ज़ल पर तो ग़नीमत समझो
आशना अब कोई सीने तो लगाने से रहा|

कभी नीम सी

कभी नीम सी जिंदगी ।
कभी नमक सी जिंदगी ।

मैं ढूंढता रहा उम्र भर
एक शहद सी जिंदगी।

ना शौक बङा दिखने का…
ना तमन्ना भगवान होने की…

बस आरजू जन्म सफल हो….
कोशिश “इंसानं” होने की.