चाहे फेरे ले लो या कहो कबूल है
अगर दिल में प्यार नहीं तो सब फिजूल है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
चाहे फेरे ले लो या कहो कबूल है
अगर दिल में प्यार नहीं तो सब फिजूल है|
दिमाग का दिल से अगर वास्ता नहीं होता !
क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता…!!
जो नहीं है हमारे पास वो ख्वाब हैं,
पर जो है हमारे पास वो लाजवाब हैं…
मेरा खुदा एक ही है….
जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला
भटक गया था मै….
जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..
मैं याद तो हूँ उसे,
पर ज़रूरत के हिसाब से।
मेरी हैसियत,
कुछ नमक जैसी है।
वापसी का तो कोई सवाल ही नहीं साहब
..
.
,घर से निकले हैं हम आँसूओं की तरह..
जब जब भी मै आपका ज़िक्र नही करता तब तब लफ़्ज़ों का मुझसे यूँ रूठ जाना|
इन्तहां लिखी इकरार लिखा,
पल पल का इंतज़ार लिखा,
तेरी यादों को दिल में बसा के,
हर रोज़ तुझे पैगाम लिखा…
सूने सूने तुझ बिन जीवन को,
पतझड़ का मौसम लिखा,
तेरी यादों के नील गगन में,
तन्हा कोई मंज़र लिखा…
तुझ बिन चलती इन सांसो को,
निष्प्राण कोई जीवन लिखा,
मेरे खयालों के हर पन्ने में,
तेरा ही कोई ज़िक्र लिखा…
रूठी रूठी रातों में,
जगती हुई इन आँखों में,
आंसुओं का सैलाब लिखा,
तुझ बिन कहीं हैँ खोये रहते,
जीते हुए भी पल पल मरते,
तेरी इन यादों का हर बातों का,
हर लम्हा हर पल लिखा…
मीत यादों को दिल में बसाके,
रोज़ तुझे पैगाम लिखा !!
मौत का आलम देख कर तो ज़मीन भी दो गज़ जगह दे देती है…
फिर यह इंसान क्या चीज़ है जो ज़िन्दा रहने पर भी दिल में जगह नहीं देता…
मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए, किस्से
लिखना……….!!
मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी, महफ़िल सजाना सीख
लो…….!!