ऐ काश ज़िन्दगी भी किसी अदालत सी होती,,,
सज़ा-ऐ-मौत तो देती पर आख़िरी ख्वाइश पूछकर…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ऐ काश ज़िन्दगी भी किसी अदालत सी होती,,,
सज़ा-ऐ-मौत तो देती पर आख़िरी ख्वाइश पूछकर…
एक नाराज़गी सी है ज़ेहन में ज़रूर,
पर मैं ख़फ़ा किसी से नहीं…
अरे कितना झूँठ बोलते हो तुम,,,
खुश हो और कह रहे हो मोहब्बत भी की है…
ये सुनकर मेरी नींदें उड़ गयी,,,
कोई मेरा भी सपना देखता है…
एहसास-ए-मोहब्बत की मिठास से मुझे आगाह न कर
ये वो ज़हर है…जो मैं पहले भी पी चुकी हूँ…!!
नब्ज़ में नुकसान बह रहा है
लगता है दिल में
इश्क़
पल रहा है…!!
मेरी मुहब्बत अक्सर ये सवाल करती है…
जिनके दिल ही नहीं उनसे ही दिल लगाते क्यूँ हो…
ताउम्र उल्फ़तें और वो छोटी सी आशिक़ी…
मरने का तरीक़ा है ये ज़िंदा रहने की हसरतें…
दर्द लिखते रहे….आह भरते रहे
लोग पढ़ते रहे….वाह करते रहे।
मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम….
या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की….
किसी की बुराई नजर ही ना आये..