जब भी
देखता हूँ ..
किसी गरीब को हँसते हुए ..
तो यकीन आ जाता है ..
की
खुशियो का ताल्लुक दौलत से नहीं होता..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जब भी
देखता हूँ ..
किसी गरीब को हँसते हुए ..
तो यकीन आ जाता है ..
की
खुशियो का ताल्लुक दौलत से नहीं होता..
Log
rone ke liye kandha nahi dete,
Marne tak
intezaar karte hai॥
फिर
कहाँ का हिसाब रहता है ,.,
इश्क़ जब बेहिसाब हो जाये ,.,!!
यही
बहुत है तूने पलट के देख लिया,
ये लुत्फ़ भी मेरे अरमान से ज्यादा है.
अगर
तुम वजह ना पूछो तो एक बात कहूँ!!!
बिना याद किये तुम्हें अब
रहा नहीं जाता है
मुकद्दर
की लिखावट का
इक ऐसा भी कायदा हो…
देर से किस्मत खुलने
वालों का
दोगुना फायदा हो……
मुफलिस
के बदन को भी है चादर की ज़रूरत,
अब खुल के मज़ारों पर ये
ऐलान किया जाए..
क़तील शिफ़ाई
मांग
लूँ यह मन्नत की फिर यही जहाँ मिले…..
फिर
वही गोद फिर वही माँ मिले….
फूल भी
दे जाते हैं ज़ख़्म गहरे कभी-कभी…
हर फूल पर यूँ ऐतबार ना कीजिये…
मुझे शायर बनना है दोस्तो,
क्या एक बेवफा से
इश्क कर लूँ