हम नहीं सीख पा रहे ये तेरे शहर का रिवाज ।
जिससे काम निकल जाये उसे जिन्दगी से निकाल दो ।
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चाहने की हद
चाहने की हद कब से होने लगी………।
हद से गुजरना ही तो मोहब्बत है ।
लिख दे मेरा
लिख दे मेरा अगला जन्म भी उसके नाम पर,
ए खुदा…
ईस जन्म मेँ हमारा ईश्क थोड़ा कम पड़ गया…
भुजाओं की ताकत
भुजाओं की ताकत खत्म होने पर,
इन्सान हथेलियों में भविष्य ढूंढता है।
कभी कभी ख्वाबों में
कभी कभी ख्वाबों में भी पुरे हो जाते हैं ख्वाब,
किसी रात तुम आती हो सिरहाना बनकर।
बेहद खुशनसीब होते हैं
वो शख्स बेहद खुशनसीब होते हैं,
जिनके इश्क में एक ही शख्स,
कई बार पड़ता हैं।
बुझा दो आज
बुझा दो आज इन चिराग़ों की लौ, वो हमसे मिलने आज बेपर्दा आये है
ज़रा सी हकीकत
जो जले हैं ख़्वाब तो क्या हुआ आओ कि ज़रा सी हकीकत ही सेंक लें..
हज़ारों मिठाइयाँ चखी हैं
हज़ारों मिठाइयाँ चखी हैं
मैंने
लेकिन ख़ुशी के आंसू से
मीठा कुछ भी नहीं
मीठा नहीं बोल पाया
जो मीठा नहीं बोल पाया
यकीन मानिए~
मीठा सुनना उसकी
किस्मत में नहीं.