सजा यह मिली

सजा यह मिली की आँखों से नींद

छीन ली उसने,
जुर्म ये था की उसके साथ रहने का ख्वाब देखा था |

कितना मेहरबान था

वो कितना

मेहरबान था,कि हजारों गम दे गया यारों,
हम कितने खुदगर्ज

निकले,कि कुछ ना दे सके,
मोहब्बत के सिवा….

एक सिक्का उछालना

कभी हमारी दोस्ती के बारे में शक हो तोअकेले में एक सिक्का उछालना…..अगर हेड आया तो हम दोस्त
और टेल आया तो पलट देना यार अकेले में कौन देखता है……..