बार बार
खामोशी की वजह पूछ रहे थे वो “वजह बताई
तो वो खुद ही खामोश
हो गए..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बार बार
खामोशी की वजह पूछ रहे थे वो “वजह बताई
तो वो खुद ही खामोश
हो गए..
इतना
याद न आया करो, कि रात भर सो न सकें। सुबह को सुख आँखों का
सबब पूछते हैं लोग।
एक तुम
ही मिल जाती,इतना काफ़ी था..सारी दुनियां का तलबगार नहीं था
मैं…!!
कैसी शिकायत कैसा गिला,
एक ख्वाब सा तू मुझे हकीकत में मिला
कुछ करना है, तो डटकर चल,
थोड़ा दुनियां से हटकर चल,
लीक पर तो सभी चल लेते है,
कभी इतिहास को पलटकर चल,
बिना काम के मुकाम कैसा ? बिना मेहनत के, दाम कैसा ?
जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल
तो राह में, राही आराम कैसा ?
अर्जुन सा, निशाना रख, मन में,
ना कोई बहाना रख !
लक्ष्य सामने है, बस उसी पे अपना ठिकाना रख !!
सोच मत, साकार कर,
अपने कर्मो से प्यार कर !
मिलेगा तेरी मेहनत का फल,
किसी ओर का ना इंतज़ार कर !!
जो चले थे अकेले उनके पीछे आज मेले है
जो करते रहे इंतज़ार उनकी
जिंदगी में आज भी झमेले है
जिन्दगी के हिसाब-किताब भी बड़े अजीब थे….
.
.जब तक लोग अजनबी थे…ज्यादा करीब थे..
तुम भी चाहत के समन्दर में उतर जाओगे,
खुशनुमा से किसी मंजर पे ठहर जाओगे ।
मैने यादों में तुम्हें इस तरह पिरोया है,
मै जो टूटी तो सनम तुम भी बिखर जाओगे ॥
लिख दूं तो लफ्ज़ तुम हो
सोच लूं तो ख़याल तुम हो
मांग लूं तो मन्नत तुम हो
चाह लूं तो मुहब्बत भी तुम ही हो..
तुम क्या जानो लाजवाब कर देतें हैं…तेरे
खयाल…दिल को,
मोहब्बत…तुझसे अच्छा तो ..तेरा
तसव्वुर हैं..!!
हम ने कब माँगा है तुम से अपनी वफ़ाओं का सिला
बस दर्द देते रहा करो “मोहब्बत” बढ़ती जाएगी