कौन कहता है तस्वीरें जुआ नहीं खेलती…???
हर दिल हारा है… तेरी सूरत देखकर…!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कौन कहता है तस्वीरें जुआ नहीं खेलती…???
हर दिल हारा है… तेरी सूरत देखकर…!!!
थोड़ी सी तकलीफ थोड़ी सी तन्हाई रहती है हरदम..
हां…मैं उसकी यादों के बाजार में टहलता हूँ।
वो सुना रहे थे अपनी वफाओ के किस्से।
हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए
हुआ था शोर पिछली रात को……दो “चाँद” निकले हैं,
बताओ क्या ज़रूरत थीं “तुम्हे” छत पर टहलने की
बड़े सुकून से वो रहता है आज कल मेरे बिना,
जैसे किसी उलझन से छुटकारा मिल गया हो उसे…
कोई ऐसी सुबह भी मिले मुझे,
के मेरी आँख खुले तेरी आवाज से..
जो तालाबों पर चौकीदारी करते हैँ…
वो समन्दरों पर राज नहीं कर सकते..!!!
बस यही सोच कर हर मुश्किलों से लड़ता आया हूँ…!
धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते…।।
एक मुद्दत से तुम निगाहों में समाए हो…!
एक मुद्दत से हम होंश में नहीं हैं ..!!
कभी कभी कुछ घाव खुद कि खरोंचों के होते है..