इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ
तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ
तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ|
मैं दाने डालता हूँ ख्यालों के,
ये लफ्ज़ कबूतरों से चले आतें हैं|
बहुत करीब से अंजान बन के गुज़री है…!
.वो जो बहुत दूर से पहचान लिया करती थी….!!
हमे अच्छा नही लगता…
कि तुम्हे कोई अच्छा लगे |
इस हुनर से बच पाओ तो हुनर है,
बडा आसान है शायरोँ मेँ शायर हो जाना…
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे
रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर
ये और बात मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे
ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी से किसी को मगर जुदा न करे
सुना है उसको मोहब्बत दुआयें देती है
जो दिल पे चोट तो खाये मगर गिला न करे
ज़माना देख चुका है परख चुका है उसे
“क़तील” जान से जाये पर इल्तजा न करे
अभी तक तो मोहब्बत है,इसीलिए फर्क पड़ता है,
वक्त ने चाहा, तो तुमसे नफरत करना भी छोड़ दुंगा…!
बदन की क़ैद से बाहर, ठिकाना चाहता है;
अजीब दिल है, कहीं और जाना चाहता है!
वो कहते हैँ हम उनकी झूठी तारीफ करते हैँ…
ए खुदा..
बस एक दिन.. आईने को जुबान दे दे..
कभी खत्म न होने वाली तलाश लगती है
ये जिंदगी मुझे सीता का बनवास लगती है|