कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की,
हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए जमाने की,
हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!
किसके सर डाले इल्जाम मौत ए मासुमियत का
शौक भी तो हमे ही था समझदार होने का
चलो ना…..
जी ले कुछ इस कदर,
कि लगे जैसे….
जिन्दगी हमे नहीं, जिन्दगी को हम मिल गये है..
उमर बीत गई पर एक जरा सी बात समझ में
नहीं आई हो जाए जिनसे महोब्बत, वो लोग कदर क्यूं नहीं करते |
आ गया फरक उसकी नजरोँ में यकीनन,
अब वो हमें ‘खास अदांज’ से ‘नजर अदांज करते हैं..!!
देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ
हर वक़्त मेरे साथ है उलझा हुआ सा कुछ..!!
मोहब्बत कितनी भी सच्ची
क्यों ना हो,
एक ना एक दिन तो आंसू और दर्द ज़रूर देती है..!!
नाराज है वो नाराज ही रहने दो,
अब हम भी,मनाना भुल गये है..!!
कमजोरियां मत खोज मुझमें मेरे दोस्त,
एक तू भी शामिल है मेरी कमजोरियों मे
आज फिर चाँद की पेशानी से उठता है धुआँ
आज फिर महकीं हुई रात में जलना होगा ।