अपनी नाराज़गी कि कोई वजह तो बताई होती,
हम ज़माने को छोड़ देते एक तुझे मनाने के लिए…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अपनी नाराज़गी कि कोई वजह तो बताई होती,
हम ज़माने को छोड़ देते एक तुझे मनाने के लिए…
फिर कभी नहीं हो सकती मुहब्बत सुना तुमने
वो शख्स भी एक था और मेरा दिल भी एक ।
पलको पे बिठा के रखेगे ससुराल वाले….
मालूम ना था बाबा भी झूठ बोलेगे…..
किसी ने कहा आपकी आँखे बड़ी खूबसूरत है,
मैने कह दिया कि, बारिश के बाद अक्सर मौसम सुहाना हो जाता है।
हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से
देखा है खुद को आज पुरानी तस्वीरों में..!!
अब डर लगता है मुझे उन लोगो से…
जो कहते है, मेरा यक़ीन तो करो…!!
शतरंज में वजीर और ज़िन्दगी में ज़मीर,
अगर मर जाये तो खेल ख़त्म हो जाता है…..
कितनी मासूम सी है ख्वाहिस आज मेरी,
कि नाम अपना तेरी आवाज़ से सुनूँ !!
जिनको मिली है, ताक़त दुनिया सँवारने की…
खुदगर्ज आज उनका ईमान हो रहा है…!!
मोहब्बत करने वालों को वक़्त कहाँ जो गम लिखेंगे,
ए दोस्तों
कलम इधर लाओ इन बेवफ़ाओं के बारे में हम लिखेंगे…..