तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,…
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,…
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं|
किसी से जुदा होना अगर इतना आसान
होता ,
तो….
जिस्म से रूह को लेंने कभी फरिस्ते
ना आते !!
तूने फेसले ही फासले बढाने वाले किये थे
,
वरना कोई नहीं था, तुजसे ज्यादा
करीब मेरे..।
हज़ार महफ़िलें है….
लाख मेले है….
जब तक तू ना मिले…..
हम अकेले ही है…..
लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब
हलके से इशारे पे ही ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं…
किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इन्तजार को तुम्हे…
बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और
ढूँढता हैं खामोशी से तुझे..!!
कब्रोँ पर यहाँ ताजमहल है….
और एक टूटी छत को ज़िन्दगी तरसती है…….
तड़प रही है
सांसे तुझे महसूस करने को…फिजा में खुशबू
बनकर बिखर जाओ
तो कुछ बात बने |
क्यों बताये किसी को हाले दिल अपना,
जो तूने बनाया वही हाल है अपना ।।
तेरा अक्सर यूँ भूल जाना मुझको
अगर दिल ना दिया होता तो तेरी जान ले लेते…!!