खामोश सा माहोल
और बैचन सी करवट हैं,
ना आँख लग रही हैं,
ना रात कट रही हैं…
Tag: प्यार
क्यों बनाते हो गजल
क्यों बनाते हो गजल मेरे अहसासों की
मुझे आज भी जरुरत है तेरी सांसो की
अब ये न पूछना
अब ये न पूछना कि
ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ…
कुछ चुराता हूँ
दर्द दूसरों के कुछ
अपनी सुनाता हूँ..!!
भुला दूंगा तुझे
भुला दूंगा तुझे
ज़रा सब्र तो कर..
.
तेरी तरह मतलबी बनने में
थोड़ा वक़्त तो लगेगा
ना चाहते हुए भी
ना चाहते हुए भी तेरे
बारे में बात हो गई,
.
कल आईने में तेरे
दिवाने से मुलाक़ात हो गई..!!
सिर्फ लकीरें देता है
कर्म भूमि पर फल के किये श्रम
सबको करना पड़ता है..
रब सिर्फ लकीरें देता है,
रंग हमें खुद भरना पड़ता है !!
मैं बंद आंखों से
मैं बंद आंखों से पढ़ता हूं रोज़ वो चेहरा,
जो शायरी की सुहानी किताब जैसा है.!!
तेरे इनकार की वजह
तेरे इनकार की वजह बता दे बस……..!
कसम तेरी..
ज़िन्दगी लुटा दूँगा उसे सुधारने में..
अपने हाथों की
अपने हाथों की लकीरों से ना निकल मुझे.!
बड़ी शिद्दत से मैने तेरी इबादत की है.!!
बरबाद कर देती है
बरबाद कर देती है मोहब्बत हर मोहब्बत
करने वाले को क्यूकि इश्क़ हार नही
मानता और दिल बात नही मानता..!!