तरक्की की फसल हम भी काट लेते,
थोडे से तलवे अगर हम भी चाट लेते….
हाँ ! बस मेरे लहजे में “जी हुजूर”न था,
इसके अलावा मेरा कोई कसूर न था..
अगर पल भर को भी मैं बे-जमीर हो जाता,
यकीन मानिए,मै कब का वजीर हो जाता…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तरक्की की फसल हम भी काट लेते,
थोडे से तलवे अगर हम भी चाट लेते….
हाँ ! बस मेरे लहजे में “जी हुजूर”न था,
इसके अलावा मेरा कोई कसूर न था..
अगर पल भर को भी मैं बे-जमीर हो जाता,
यकीन मानिए,मै कब का वजीर हो जाता…..
तेरा ख़याल तेरी आरजू न गयी, मेरे दिल से तेरी जुस्तजू न गयी,
इश्क में सब कुछ लुटा दिया हँसकर मैंने, मगर तेरे प्यार की आरजू न गयी…
कितने सालों के इंतज़ार का सफर खाक हुआ ।
उसने जब पूछा कहो कैसे आना हुआ|
तेरी जगह आज भी कोइ नहीं ले सकता,
पता नहीं वजह तेरी खूबी है या मेरी कमी।
ऐ मेरे पाँव के छालों
ज़रा लहू उगलो..,
सिरफिरे मुझसे सफ़र के निशान माँगेगे..!!
अपनों की चाहतों में मिलावट थी इस कदर की
मै तंग आकर दुश्मनों को मनाने चला गया |
कोशिश न कर,
तू सभी को ख़ुश रखने की,
नाराज तो यहाँ, कुछ लोग…
खुदा से भी हैं….!!
मुझे चाह नहीं कि मुझे कोई पहचानें..
बस, मेरी नज़रें किसी को भूल न पाएं!!
अरसा हो गया पैरो को मिट्टी छुए हुए …
बढ़ गयी हैं ज़मीं से कुछ इस कदर दूरियाँ …
कच्चे रंगों वाली तितली क्या जाने…
कि बारिश का भी साथ निभाना है उसे…