आज फिर तुम्हे भुलाने बैठे हम,
आज फिर तुम्ही याद आते रहे।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आज फिर तुम्हे भुलाने बैठे हम,
आज फिर तुम्ही याद आते रहे।।
अजीब लहजे में पूछी थी खैरियत उसने जवाब देने से पहले ही छलक गई आँखें मेरी|
इस सलीक़े से मुझे क़त्ल किया है उसने अब भी दुनिया ये समझती है की ज़िंदा हूँ मैं !!
कल्पना का सफ़र कितना कठिन होता है…
मेरी सोचों के तल्वे ही छिल गए हैं…
ज़िंदगी में बार बार सहारा नही मिलता,
बार बार कोई प्यार से प्यारा नही मिलता,
है जो पास उसे संभाल के रखना,
खो कर वो फिर कभी दुबारा नही मिलता !
ख़्वाबों के पीछे
जिंदगी उलझा ली इतनी..
हकीकत में रहने
का सलीका ही भूल
गए।।
बुझ जाओ तो अँधेरा, जल जाओ तो शमा रौशन,
देखने वाले को भी, नज़रे हुनर चाहिये !!
जब देखने वाला कोई नहीं
बुझ जाओ तो क्या जल जाओ तो क्या |
तुझको हुई ना खबर, न ज़माना समझ सका
हम चुपके चुपके तुझ पे यूँ कई बार मर गये|
कभी चिरागों कें बहानें मिल जाया करती थी हसरतों को मंजिलें आज रौंशनी हैं गजब की मगर साया ही नजर नही आता कोई|