इस इंतिज़ार में बैठे हैं उन की महफ़िल में…!!!
कि वो निगाह उठाएँ तो हम सलाम करें…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इस इंतिज़ार में बैठे हैं उन की महफ़िल में…!!!
कि वो निगाह उठाएँ तो हम सलाम करें…!!
चलो ऐसा करते हैं
तुम मोम बन जाओ
मैं धागा बन जाऊं
तुम मुझ में पिघल जाओ
मैं तुम में जल जाऊं|
तुझसे ज्यादा तेरी याद को है मुझसे हमदर्दी
देखती है मुझे तन्हा तो चली आती है…!!!
एक उम्र ग़ुज़ारी हैं हमने तुम्हारी ख़ामोशी पढते हुए,
एक उम्र गुज़ार देंगे तुम्हें महसूस करते हुए|
आपको कुछ और सितम करने की ज़रूरत नहीं,
तन्हा छोड़ दिया है तो अब हम ऐसे ही मर जाएँगे !!
चंद पन्ने क्या फटे ज़िन्दगी की किताब के…!!
ज़माने ने समझा हमारा दौर ही ख़त्म हो गया….
छिड़क दिया तुम्हे ज़िन्दगी के हर पन्ने पर इत्र की तरह
मेरे बाद भी मुझमे तुम ही महकोगे|
जमाना कल भी खराब था और आज भी है द्रोपदी का चिरहरण करने वाले को भूल गए लोग पर
जिसने सीता को हाथ तक भी नही लगाया वो आज तक जल रहा है ………..
अश्क़ भी पूंछ रहे है अब सबब क्या है
क्या तुमने सुना है अश्को का लहू होना|
यादों में ना ढूँढो हमें
मन में हम बस जायेंगे तमन्ना हो अगर मिलने की ..
तो, हाथ रखो सीनें पर..
हम धड़कनों में ही..
मिल जायेंगे…