मेरे सात बेठ के टाइम भी रोया एक दिन
केहने लगा बन्दा तु सही है मे हि खराब चल रहा हुं….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरे सात बेठ के टाइम भी रोया एक दिन
केहने लगा बन्दा तु सही है मे हि खराब चल रहा हुं….
मां जो भी बनाए उसे बिना नखरे किये खा लिया करो
क्युंकि दुनिया में ऐसे लोग भी है जिनके पास या तो खाना नही होता या मां नही होती
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मेरी तक़दीर में एक भी गम न होता
अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता.
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एक दिन हम मिलेंगे सूखे गुलाबों में,
बारिश की बूंदों में, कलम में, किताबों में ।।
हवाओं की भी अपनी
अजब सियासत है …
कहीं बुझी राख……भड़का दे,
कहीं जलते दीये बुझा दे……
अजीब शख्स हूँ मैं, अजीब मिज़ाज़ में रहता हूँ..
…
कर देता हूँ खुश सबको पर खुद उदास रहता हूँ ।
दर्द जब भी हुवा इस क़दर हुआ..
के जेसे फिर कभी होना ही नहीं..!”
उसके क़दमों में बिछा दूं आँखें..
मेरी बस्ती से गुज़रे तो सही..!
Kaheen agr lag jaaye dil to..
Kaheen phir dil naa laagy..!
ये ना समझ तेरे आसरे हूँ..
…
इश्क़ की दुनिया का बाल ठाकरे हूँ ।