उठाइये हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए फ़राज़ तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था|
Tag: प्यार शायरी
परवाह दिल से
परवाह दिल से की जाती है, दिमाग से तो बस इस्तमाल होता है|
अजीब पैमाना है
अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का….. जिसका जितना दर्द बुरा, शायरी उतनी ही अच्छी….
ख़ता ये हुई
ख़ता ये हुई,तुम्हे खुद सा समझ बैठे जबकि,तुम तो…‘तुम’ ही थे
रफ़्ता-रफ़्ता मेरी
रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती आती है, चुपके-चुपके मेरे हक़ में, कौन दुआएं करता है।
दरख़्त ऐ नीम हूँ
दरख़्त ऐ नीम हूँ, मेरे नाम से घबराहट तो होगी, छांव ठंडी ही दूँगा, बेशक पत्तों में कड़वाहट तो होगी.
मेरी न सही
मेरी न सही तो तेरी होनी चाहिए…. तमन्ना किसी एक की तो पूरी होनी चाहिए…!!
बहुत सी निशानियाँ
बहुत सी निशानियाँ हैं मेरे पास भी मुहोब्बत की..!! ताज महल का तो नाम उङा रखा है लोगों ने..!
एक काम कर दो
अच्छा सुनो! जाना एक काम कर दो !!!! तुम खुद को मेरे नाम कर दो।
दिल तोड़ के जाने वाले
दिल तोड़ के जाने वाले सुन ! दो और भी रिश्तें बाक़ी हैं एक सांस की डोरी अटकी है एक प्रेम का बंधन बाक़ी है |