तेरे बिना मैं मुकम्मल तो नहीं,
फिर भी जाने दे रहा हूँ
तुम्हें ,वक़्त की तरह …
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरे बिना मैं मुकम्मल तो नहीं,
फिर भी जाने दे रहा हूँ
तुम्हें ,वक़्त की तरह …
ये दिल जो तेरे दर्द से आशना हो गया है,
अब इस दर्द को हम तेरी मेहरबानी लिखते हैं …
यहां है हर एक अब ज़ात पांत का कैदी।
दिखे है बच्चा बूढ़ा औ जवान पिंजरे में।
पहाड़ो से जो गिरते हैं खड़े हो ही जाते हैं।
मगर गिरना कभी अपनी नज़र अच्छा नहीं लगता।
कोई चिड़िया रास्ता भूलकर कमरे के अंदर आ जाये,
तो पंखा बंद कर उसे रास्ता दिखाना भी मोहब्बत है !
जो मिलते हैं.. वो बिछड़ते भी हैं साहेब…
हम नादान थे..
एक शाम की मुलाकात को ज़िन्दगी समझ बैठे..
उम्र छोटी है तो क्या..जीवन का हरेक मंजर देखा हैं..!
फरेबी मुस्कुराहटें देखी है..बगल मे छुपा खंजर देखा हैं…
ना हीरो की तमन्ना है और
ना परियों पे मरता हूँ .
वो एकभोली सी लडकी है
जिसे मैं मोहब्बत करता हूँ |
नहीं लेने देंगे सुकून वो मुझको मेरे कफन के बाद भी।
वो और दबाते रहेंगे मुझे मेरे दफ़न के बाद भी।
तुम्हारी प्यार भरी निगाहों को हमें
कुछ ऐसा गुमान होता है
देखो ना मुझे इस कदर मदहोश
नज़रों से कि दिल बेईमान होता है।