बेशक तुमहे गुस्सा करने का हक हे मुजपे.
पर नाराजगी मे ये मत भुल जाना की
हम बहुत प्यार करते हे तुमसे।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बेशक तुमहे गुस्सा करने का हक हे मुजपे.
पर नाराजगी मे ये मत भुल जाना की
हम बहुत प्यार करते हे तुमसे।
कितनी मासूम होती है ये दिल की धड़कनें,
कोई सुने ना सुने ये खामोश नही रहती..
दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो..
इन्तजार उसका.. जिसको एहसास तक नहीं…!!
ये बारिश भी तुम सी है,
जो थम गई तो थम गई।।
जो बरस गई तो बरस गई,
कभी आ गई यूँ बेहिसाब।।
कभी थम गई बन आफताब,
कभी गरज गरज कर बरस गई ।।
कभी बिन बताये यूँ ही गुज़र गई
कभी चुप सी है कभी गुम सी है
ये बारिश भी सच… तुम सी है…!!
प्यार करता हूँ इसलिए
“फिकर” करता हूँ,
नफरत करूँगा तो
“जिकर” भी नहीं करूँगा,
आज इतना ज़हर पिला दो की मेरी साँस ही रुक जाये,
सुना है साँस रुकने पर बेवफा भी देखने आती है ।
कौन देता है उम्र भर का सहारा
लोग तो जनाजे में भी कंधे बदलते रहते हैं
दिल के दरवाजों को हमेशा ही खुला रखता हुँ,
कहा है उसने
“देर लगेगी पर आयेंगी जरूर”